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नए साल में मंहगाई की मार, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जबरदस्त इज़ाफ़ा
विशेषज्ञों का कहना है कि इन ईंधनों की कीमत आसमान पर चढ़ने के लिए भले ही कच्चे तेल की कीमत में बढोतरी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें भी इन दोनों ईंधनों पर भारी भरकम कर थोपे हुए हैं।
नई दिल्ली : आम लोगों को महंगाई के मार से फिलहाल रहत मिलती नज़र नहीं आ रही है। लोगों को मंहगाई से निजात दिलाने का वादा करने वाली केंद्र की मोदी सरकार महंगाई से निपटने में लागातार विफल होती नज़र आ रही है। खासकर कच्चे तेल की कीमत में जिस तरह से दिन-ब-दिन इज़ाफ़ा हो रहा है, उसने आम लोगों की मुसीबतें बढ़ा रखी है। कच्चे तेलों की कीमतों में इज़ाफ़ा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केवल 12 रुपये का अंतर रह गया है। सोमवार को जहां डीजल का रेट देश में 67 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया है, वहीं पेट्रोल भी 80 रुपये के करीब पहुंच गया है।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सोमवार को पेट्रोल का दाम 80 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच गया है। मुंबई में यह 79.06 रुपये प्रति लीटर है। दिल्ली में भी पेट्रोल 70 रुपये के पार जाकर के 71.06 रुपये है। देश के दो बड़े शहरों में प्राइस में केवल 8 रुपये का अंतर देखने को मिला है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जबरदस्त इज़ाफ़े के मद्देनज़र इनको जीएसटी में शामिल करने की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन ईंधनों की कीमत आसमान पर चढ़ने के लिए भले ही कच्चे तेल की कीमत में बढोतरी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें भी इन दोनों ईंधनों पर भारी भरकम कर थोपे हुए हैं। इस समय केंद्र सरकार जहां पेट्रोल पर प्रति लीटर करीब 20 रुपये का कर वसूलती है, वहीं डीजल पर भी 15.33 रुपये का कर है। बताया जाता है कि इस समय कच्चे तेल की कीमत चढ़ने के पीछे ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन को नियंत्रित करना है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर से राज्यों से अपील की है कि वो अपने यहां वैट की दरों को कम करें।