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सोनम कपूर, विद्या बालन जैसी एक्ट्रेस की ड्रेस डिज़ाइन करने वाली ने खाली पेट बिताये थे दिन, 18 की उम्र में हुई थी घर से फरार

नई दिल्ली : सफलता ना तो किस्मत की मोहताज होती है नहीं परिस्थितियों की। सफल होने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। सफलता मिलती है तो सिर्फ और सिर्फ कड़ी मेहनत से। सफलता के लिए कितनी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और संघर्षों का सफर कितना मुश्किल होता है, इस बात को वैशाली शंडागुले से बेहतर भला कौन जान सकता है। जी हां, वही वैशाली शंडागुले जिन्होंने विल्स से इंडिया फैशन वीक और अमेज़न के फैशन वीक स्प्रिंग ब्रेक व स्प्रिंग समर में अपने ट्रेडिशनल और मॉडल फ्यूजन कलेक्शन से सबके होश उड़ा दिए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज अपनी फैशन डिजाइनिंग से करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनाने वाली डिज़ाइनर वैशाली शंडागुले ने कभी खाली पेट गुजारा किया था, क्योंकि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे, लेकिन यह उसी कड़े संघर्षों का नतीजा है कि आज फिल्म इंडस्ट्री में वह सोनम कपूर, विद्या बालन, बिपाशा बसु, जैसी कई अन्य नामी-गिरामी एक्ट्रेस की ड्रेस डिजाइनिंग करती है।

वैशाली का सफर :

वैशाली का जन्म मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 57 किलोमीटर दूर एक छोटे से शहर विदिशा के एक रुढ़िवादी परिवार में हुआ। 18 साल की उम्र की दहलीज पार करते ही, उनके घर वाले शादी की बात करने लगे। वैशाली ने अपने घर वालों को समझाने की कोश‍िश की पर वो नहीं मानें। अब वैशाली के पास शादी से बचने का दूसरा कोई रास्ता नहीं था, इसलिए वो घर से भाग गईं और सीधे रेलवे स्टेशन पहुंचीं।

वैशाली को कपड़ों की पहचान अपने पिता से विरासत में मिली थी, इसलिए इस बात को लेकर वैशाली निश्चत थी कि वह इस क्षेत्र में कामयाब होगी। घर से जब रेलवे स्टेशन भागी तब उसे पता नहीं था कि उसे कहां जाना है। जो पहली ट्रेन आई, उसमें बैठ गई, ट्रेन मुंबई की थी। मुंबई पहुंचने के बाद वैशाली इधर-उधर घूमती रही और लोगों से काम मांगती रहीं। आख‍िरकार एक ऑफिस में उन्हें 5000 रुपये की नौकरी मिली। अपनी कमाई से वैशाली बचत भी करने लगीं।
फैशन का सपना

अपनी इसी कमाई से वैशाली ने एक छोटे से फैशन डिजानिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने की कोश‍िश की, लेकिन उन्हें एडमिशन नहीं मिला। वैशाली ने हार नहीं मानी और दूसरी जगह से कट‍िंग्स और सिलाई सीख ली और फैशन सेमिनार अटेंड करना शुरू कर दिया।

वैशाली को इसके बाद एक एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी मिल गई। वैशाली को यहां 11,000 रुपये सैलरी मिलती थी। वैशाली ने बचत शुरू ही किया था कि स्ल‍िप डिस्क हो गई और सारी बचत इलाज में खर्च हो गई। फिर वैशाली ने फिटनेस ट्रेनर के तौर पर नौकरी की। ये नौकरी जमी नहीं और वैशाली ने 50,000 रुपये का लोन लेकर अपनी दुकान खोली। इसी दौरान उन्होंने शादी भी की। इसके बाद वैशाली ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वैशाली का शो रूम आज तीन मंजिला है। चंदेरी, सिल्क और कॉटेन के फ्यूजन से डिजाइनिंग करती हैं।

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