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मिलिए तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले अदालत का दरवाज़ा खटखटाने वाली इस मुस्लिम महिला से
नई दिल्ली : तीन तलाक पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ में से तीन जनों ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन छह महीनों में देशभर में तीन तलाक का कोई भी मामला मान्य नहीं होगा, साथ हीं कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को इन 6 महीनों में इस मुद्दे को लेकर कानून बनाने की भी निर्देश दिए हैं।
बता दें कि एक तरफ मोदी सरकार जहां महिलाओं के अधिकारों को लेकर तीन तलाक की खिलाफत करती रही है वहीं दूसरी तरफ कई मुस्लिम संगठन तीन तलाक को धर्म से जुड़ा मुद्दा बनाकर इसे जायज मानते रहें हैं और मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं। वही अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को कानून बनाने के निर्देश दे दिए हैं तो ऐसे में यह मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है। बता दें कि इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं का भी साथ मिलता रहा है। बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक प्रथा का विरोध करती रही है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि इस तीन तलाक की प्रथा के खिलाफ किस महिला ने सबसे पहले कानून का दरवाज़ा खटखटाया था।
तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले 38 साल की शायरा बानो ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा की शादी 2002 में इलाहाबाद के प्रॉपर्टी डीलर रिजवान के साथ हुई थी। शायरा के दो बच्चे हैं। 13 साल का बेटा और 11 साल की बेटी। शायरा का आरोप है कि शादी के बाद उसे हर दिन पीटा जाता था। रिजवान हर दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था। बहुत ज्यादा बहस करना और झगड़ना उसकी आदम में शामिल था।
शायरा के मुताबिक, रिजवान से शादी के बाद उसे कई गर्भनिरोध (contraceptives) लेने को कहा गया, जिसकी वजह से वह काफी बीमार हो गई। रिजवान ने उसका छह बार अबॉर्शन करवाया। पिछले साल अप्रैल में मैं अपने पैरेंट्स के घर लौट आ गई, तो मुझे लौट आने को कहा जाने लगा। अक्टूबर में मुझे टेलीग्राम के जरिए तलाकनामा भेज दिया गया। वह एक मुफ्ती के पास गई तो उन्होंने कहा कि ट्रेलीग्राम से भेजा गया तलाक जायज है।
शायरा के बच्चे रिजवान के साथ रहे हैं। वह उन्हें देखने के लिए एक साल से तरस रही है। शायरा का कहना है कि यहां तक कि उसे बच्चों से फोन पर भी बात नहीं करने दी जाती। शायरा का कहना है कि वे इस जंग में पीछे हटने वाली नहीं हैं। उनका यह कदम दूसरी महिलाअों के लिए मददगार होगा।