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नोएडा के जिला अस्पताल का रियल्टी टेस्ट : अस्पताल प्रशासन के लापरवाहियों की खुली पोल
नोएडा : ज़िला अस्पताल में आज JMB NEWS की टीम ने रियल्टी टेस्ट किया, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। इस रियल्टी टेस्ट में, मरीज़ों के बेहतर इलाज़ का दावा करने वाले अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की पोल खुलकर सामने आई है। रियल्टी टेस्ट में सामने आया है कि जहाँ एक तरफ अस्पताल में मरीज परेशान हैं, वहीँ दूसरी तरफ डॉक्टर अपने केबिन से लापता हैं। वही कई मामलों में डॉक्टरों ओर स्टाफ की लापरवाही भी सामने आई है। हालांकि अस्पताल के CMC अब भी अस्पलात में सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं।
करोड़ों की लागत से बना नोएडा हाई टेक सिटी का जिला अस्पताल, जिसमें मरीज़ इस आस में जाते हैं कि वहां उनका समुचित इलाज़ होगा, लेकिन जो खुलासे हुए हैं, वो इन गरीब मरीजों के तमाम आशाओं पर पानी फेरती नज़र आती है। आलम ये है कि मरीज घंटो तक लाइन में लगकर पहले डॉक्टर को दिखाने के लिए पर्चा बनवाते है और फिर घंटो तक डॉक्टरों के केबिन के बाहर खड़े होकर डॉक्टर साहब का इन्जार करते है, लेकिन डॉक्टर साहब मरीजों की परेशानी से अंजान, अपनी केबिन से नदारद दिखते हैं।
रियल्टी टेस्ट में डॉक्टरों की लापरवाही भी सामने आई है। दरअसल व्हील चेयर पर एक महिला कुछ दिन पहले ही इसी अस्पताल में भर्ती हुई थी। इसको बच्चा होने वाला था लेकिन बच्चा पेट मे दम तोड़ चुका था। लापरवाही का आलम ये है कि इस महीला ने अपने मरे हुए बच्चे को अस्पताल के शौचालय में जन्म दिया और घंटो तक महिला और मृत बच्चा वही पर अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ का इन्जार करते रहे। फिर CMS से महिला के पति ने शिकायत की। हालांकि CMS साहब ने लापरवाह लोगों के खिलाफ कार्यवाही तो की लेकिन आज भी पीड़ित CMS की कार्यवाही से संतुष्ट नही है।
अब आप सोच सकते हैं कि जिस अस्पताल में लापरवाही का ये आलम है, वहां मरीजों का किस तरह से इलाज़ होगा। अभी बीतें दिनों गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत की ख़बर ने यूपी में सियासी घमासान मचा दिया था, जो अभी भी थमा नहीं है, लेकिन सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज हीं नहीं, बल्कि प्रदेश भर में ऐसे कई अस्पताल हैं, जहाँ मरीजों को लेकर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ़ नज़र आती है, बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर इनपर कोई कार्यवाही नहीं की जाती। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या बीआरडी मेडिकल कॉलेज की तरह कोई बड़ा हादसा होने पर हीं प्रशासन नींद से जागेगी, और इस तरह के अस्पताल पर कार्यवाही होगी ?