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अब मुस्लिम महिलाओं ने पीएम मोदी को ओपन लेटर लिख कर इस प्रथा पर की रोक लगाने की मांग

नई दिल्ली : तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद से मुस्लिम महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मुस्लिम महिलाओं ने जहाँ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, वहीं इस पहल के लिए केंद्र की मोदी सरकार का भी शुक्रिया अदा किया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने मिठाई बांटकर जश्न भी मनाई। वहीं अब मुस्लिम महिलाओं ने पीएम मोदी को ओपन लेटर लिखकर इस्लाम धर्म में व्याप्त एक और प्रथा पर बैन लगाने की मांग की है।

दरअसल तीन तलाक पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्य जजों की पीठ में से तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दिया, जिसके बाद कोर्ट विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर 6 महीने के लिए बैन लगा दिया, साथ ही केंद्र सरकार को इससे संबंधित कानून बनाने के भी निर्देश दिए।

बता दे कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार तीन तलाक का विरोध करती रही है और इसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकार का उल्लंघन करार देती रही है। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं में खुशी देखी जा रही है और इस मसले पर मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं का साथ मिलता नजर आ रहा है। इस मामले में मुस्लिम महिलाओं ने पीएम मोदी को ओपन लेटर लेकर तीन तलाक के बाद अब खतना को भी बंद किए जाने की मांग की है।

आपको बता दें कि मासूमा रानाल्वी नाम की एक महिला ने पीएम मोदी के नाम एक ओपन लेटर लिखकर इस कुप्रथा को बंद कराने इल्तजा की है। बोहरा समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने पीएम मोदी को लिखा है कि आजादी वाले दिन आपने जब मुस्लिम महिलाओं के दर्द और दुखों का जिक्र लालकिले के प्राचीर से किया था, तो उसे देख-सुनकर काफी अच्छा लगा था। हम मुस्लिम औरतों को तब तक पूरी आजादी नहीं मिल सकती जब तक हमारा बलात्कार होता रहेगा, हमें संस्कृति, परंपरा और धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा। तीन तलाक एक गुनाह है लेकिन इस देश की औरतों की सिर्फ़ यही एक समस्या नहीं है। मैं आपको औरतों के साथ होने वाले खतने के बारे में बताना चाहती हूं, जो छोटी बच्चियों के साथ किया जाता है।

मासूमा ने लिखा है कि बोहरा समुदाय में सालों से ‘ख़तना’ या ‘ख़फ्ज़’ प्रथा का पालन किया जा रहा है। मेरे समुदाय में जैसे ही कोई बच्ची 7 साल की हो जाती है, उसकी मां या दादीमां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाती हैं, जहां उसके प्राइवेट पार्ट को काट दिया जाता है, जो कुछ उस 7 साल की बच्ची के साथ होता है, उसके बारे में उन्हें पता ही नहीं होता लेकिन उसका दंश और दर्द वो ताउम्र झेलती हैं। गौरतलब है कि इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य है, बच्ची या महिला के यौन इच्छाओं को दबाना है। आपकी बातें सुनकर मुझे लगा कि आपको मुस्लिम बहनों की चिंता है इसलिए मैं आप से और आपकी सरकार से दर्खास्त करती हूं इस कुप्रथा का अंत करवाइए। इस प्रथा को बैन करके बोहरा बेटी बचाना बहुत ज़रूरी है।

 

 

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