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GDP के मुद्दे पर बुरी तरह से विफल साबित हुई मोदी सरकार, भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम

नई दिल्ली : एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार मेक इन इंडिया, स्वरोजगार, नोटबंदी व ऐसे ही अन्य कई सरकारी योजनाओं के द्वारा देश की जीडीपी ग्रोथ रेट को बढ़ाने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ इसी जीडीपी ग्रोथ रेट के मुद्दे पर मोदी सरकार को मुंह की खानी पड़ी है। जी हाँ, जीडीपी ग्रोथ रेट के मामले में मोदी सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है और मौजूदा जीडीपी ग्रोथ रेट 3 सालों के सबसे निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है जो सरकार के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। फाइनेंसियल ईयर की पहली तिमाही के जो आंकड़े पेश किए गए हैं उन आंकड़ों में नोटबंदी के दुष्प्रभाव पूरी तरह से उजागर हो गए हैं और नोटबंदी को लेकर जो मोदी सरकार अब तक अपनी पीठ थपथपा रही थी ,अब इस मुद्दे पर पूरी तरह से विफल साबित हुई है।

अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक विकास दर घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई। इससे पहली तिमाही (मार्च 2017 ) में विकास दर 6.1 फीसदी थी। पिछले साल की जून तिमाही से तुलना करें तो यह गिरावट और बड़ी नजर आएगी। उस दौरान आर्थिक विकास दर 7.9 फीसदी थी।

सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) के आंकड़े अर्थशास्त्रियों की चिंता बढ़ा रही है। इस आंकड़े के मुताबिक, ‘रियल’ या इनफ्लेशन एडजस्टेड जीडीपी की ग्रोथ पिछले तीन साल में सबसे कम रही। ये आंकड़े देखकर यह साफ है कि 8 फीसदी का ग्रोथ रेट हासिल करने में अभी काफी वक्त लगेगा। 2015-16 में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 8 फीसदी थी। अगर आप साल को गौर से देखें तो आपको पता चलेगा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद यह सबसे कम ग्रोथ रेट है।

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