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गोरखपुर मौत मामला : डीएम की रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा, खुल गया ये बड़ा राज़

गोरखपुर : गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की हुई मौत के मामले में सियासी घमासान तो मचा हीं, साथ ही इस मामले में योगी सरकार ने सख्त तेवर दिखाते हुए मामले की जांच के आदेश दिए और इस मामले की जांच जारी है। जांच के दौरान जो खुलासे हो रहे हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। जांच के क्रम में गोरखपुर के डीएम ने अपनी रिपोर्ट पेश की है। डीएम की रिपोर्ट ने बच्चों की मौत के मामले में एक नया मोड़ ला दिया है। इस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों की मौत के पीछे किसकी लापरवाही है।

डीएम गोरखपुर राजीव रौतेला की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज के सबसे जिम्मेदार अधिकारी प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा थे। वह 10 अगस्त को सुबह ही मुख्यालय से बाहर चले गए थे। जबकि एनेस्थीसिया विभाग के हेड डॉ. सतीश कुमार 11 अगस्त को बिना अनुमति मुंबई चले गए थे। यदि इन दोनों अधिकारियों ने ऑक्सीजन की समस्या को गंभीरता से लिया होता और उसका समाधान किया होता तो ऐसी परिस्थितियां न पैदा होती और बच्चों की मौत भी न होती। ये दोनों अधिकारी मुख्यमंत्री के निरीक्षण के अगले ही दिन मेडिकल कॉलेज से चले गए। न ही निरीक्षण के दौरान दोनों ही अधिकारियों ने उन्हें इस दिक्कत पर चर्चा की।

रिपोर्ट में पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता, डॉ. राजीव कुमार मिश्रा, प्राचार्य, डॉ. सतीश कुमार, हेड एनेस्थीसिया और गजाननन जायसवाल, चीफ फार्मासिस्ट को मौत का जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज का लेखा विभाग और उसके कर्मचारी भी इस लापरवाही में बराबर के जिम्मेदार हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक प्राचार्य और एनेस्थीसिया विभाग के हेड की अनुपस्थिति के दौरान कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. रामकुमार, सीएमएस डॉ. रमाशंकर शुक्ला, बाल रोग विभाग की हेड डॉ. महिमा मित्तल और 100 बेड के वार्ड के प्रभारी डॉ. कफील के बीच समन्वय की कमी पायी गई।

प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा ने बाल रोग विभाग की गंभीरता से भलीभांति परिचित होने के बावजूद संवेदनहीनता दिखायी। शिकायतों को दूर नहीं किया गया। जिसका खामियाजा बच्चों और उनके परिवार को भुगतना पड़ा।

रिपोर्ट में बच्चों के वार्ड के रखरखाव में भी लापरवाही का जिक्र किया गया है। 100 बेड एईएस वार्ड के प्रभारी डॉ. कफील ने जांच समिति को बताया कि ऑक्सीजन ही नहीं वार्ड में कई अन्य दिक्कतें थी। उन्होंने डॉ. सतीश को पत्र लिखकर वार्ड के एसी खराब होने की जानकारी दी थी, लेकिन उसे समय से रिपेयर नहीं किया गया। इसके बावजूद नोडल अधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने उसे ठीक नहीं कराया। इस कारण बच्चे गर्मी से परेशान होते रहे। जांच टीम को बच्चों परिवारीजन हाथ से पंखा करते हुए भी मिले।

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