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चुनावी साल में CM Ashok Gehlot का सियासी दांव, क्या BJP ढूंढ पायेगी इसका काट

नई दिल्ली : राजस्थान में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां चुनावी मोड में है और ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार किए जा रहे हैं। प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी द्वारा सत्ताधारी कांग्रेस पर तमाम तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन इसी बीच सीएम अशोक गहलोत ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए प्रदेश में 19 नए जिलों के गठन की घोषणा कर दी है।
गौरतलब है कि प्रदेश में नए जिलों की मांग बीते कई दशकों से की जा रही थी, लेकिन आखिरकार सीएम अशोक गहलोत ने लोगों की इस मांग को पूरा करते हुए 19 नए जिले और तीन नए संभाग बनाने की घोषणा कर दी है। अब राजस्थान में जिलों की कुल संख्या 33 से बढ़कर 50 हो गई है, वही संभागों की संख्या 7 से बढ़कर 10 हो गई है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो सीएम अशोक गहलोत की इस घोषणा के कई मायने हैं जो राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदल सकते हैं।
किसी भी राज्य में नए जिले में बनाने का फायदा उस समय सरकार चला रहे दल को होता है। राजनीति के जानकार दिसम्बर में होने वाले राजस्थान विधानसभा 2023 को देखते हुए 19 नए जिलों की घोषणा को अशोक गहलोत सरकार का सियासी दांव भी मान रहे हैं। राजस्थान में अभी विधानसभा की 200 और लोकसभा की 25 सीटें हैं। 19 जिले बनने के बाद इन सीटों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि विधानसभा व लोकसभा की सीटें क्षेत्रफल की बजाय आबादी के आधार पर बनती हैं। जैसे मौजदूा समय में जैसलमेर व बाड़मेर अलग अलग जिले होने के बावजूद इनकी संसदीय सीट एक ही है।
चुनावी साल में सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस के लिए बड़ा सियासी दांव चल दिया है, ऐसे में टेंशन बीजेपी के खेमे में देखी जा रही है। अब तक कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए बीजेपी द्वारा बनाई गई तमाम रणनीति सीएम गहलोत के इस एक दांव से धराशाई होती नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नए जिलों की घोषणा का बड़ा फायदा सत्ताधारी कांग्रेस को मिल सकता है। सीएम अशोक गहलोत के सियासी दांव से अगर कांग्रेस को फायदा मिलता है तो बीजेपी एक बार फिर राजस्थान में सत्ता से दूर रह सकती है। हालांकि अभी चुनाव में वक्त है, ऐसे में देखना यह है कि बीजेपी सीएम गहलोत के इस सियासी दांव का क्या काट निकालती है ?